by Admin on | Jun 23, 2025 08:45 AM
छत्तीसगढ़ में सवाल अब केवल सत्ता का नहीं — सिस्टम का है...रेत और खनिज माफिया से समझौता किसे मंज़ूर है — सरकार को या जनता को?
✍️जसराज जैन रक्तमित्र
? प्रदेश की बदलती सरकारें और स्थायी माफिया — यही छत्तीसगढ़ का मौजूदा सच है।
? कांग्रेस की सरकार थी, तो भाजपा ने भ्रष्टाचार और अवैध खनन के आरोप लगाए।
? अब भाजपा की सरकार है, तो कांग्रेस वही सवाल दोहरा रही है —
क्यों नहीं रुक रहा अवैध खनन, क्यों नहीं झुक रहे माफिया?
? ज़मीनी हकीकत:
- बलरामपुर में कांस्टेबल की हत्या— ट्रैक्टर से कुचलकर मार डाला गया।
- रायगढ़ में गोलीबारी — कोयला कारोबारियों के बीच माफिया टकराव।
- जिला अफसर परेशान — "हमें राजधानी अटैच कर दो, जिला में काम नहीं करना..."
? सूत्र बताते हैं:
“ऊपर से दबाव है... माफिया को न छेड़ो।”
क्या रायपुर में बैठे ‘अदृश्य लोग’ सत्ता से ज्यादा प्रभावी हैं।
? पहले रेत की लोडिंग दर ₹450 थी, अब भ्रष्टाचार और हिस्सेदारी की वजह से ₹2000–₹5000 तक वसूली हो रही है।
? तो सवाल यह है —
क्या सरकार माफिया के खिलाफ है? या माफिया ही सरकार के ‘अनदेखे हिस्सेदार’ बन चुके हैं?
? जनता का विश्वास डगमगा रहा है।
? यदि 17 महीने में ही यह हाल है, तो बचे 43 महीने में क्या होगा?
?️ अब फैसला जनता के हाथ में है।
सरकार बदली जा सकती है, लेकिन सोच और सिस्टम बदले बिना हालात नहीं।
? क्रांति सिर्फ सत्ता पलटने से नहीं आती, सिस्टम झकझोरने से आती है